Tuesday, 3 May 2016

समझौता ब्लास्ट केस में सामने आया भारतीय राजनीति का सबसे घिनौना चेहरा


डॉ. प्रवीण तिवारी

मझौता ब्लास्ट में एनआईए पर राजनैतिक दबाव की छाप साफ देखने को मिल रही है. ब्लास्ट किसने और कैसे किए, से ज्यादा जोर इस बात पर दिखाई पड़ रहा था कि ये ब्लास्ट अभिनव भारत से जुड़े लोगों ने किए हैं. असीमानंद और प्रज्ञा दो ऐसे चेहरे थे, जो भगवा पहनते भी थे. इनका इस्तेमाल आरएसएस और वीएचपी तक पहुंचने के लिए किया जा रहा था.
इधर, सुशील कुमार शिंदे, पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह जैसे तमाम कांग्रेसी नेताओं की बातें इस ओर इशारा कर रही थीं कि हिंदू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद के जुमले को किसी तरह लोगों की जुबान पर चढ़ा दिया जाए. एटीएस और एनआईए सभी की जांच का आधार, इकबालिया बयान और एक बाइक दिखाई पड़ती है.
इधर, एनआईए की जांच इस बात पर टिकी रही कि सिम कार्ड एक ही दुकान से खरीदे गए, एक जैसे एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया गया. कई गवाहों के इकबालिया बयानों के आधार पर ये कहानी बुनी गई जो इस ओर इशारा कर रही थीं कि कैसे असीमानंद और कर्नल पुरोहित के मन में आतंकवादी घटनाओं में हिंदुओं के मारे जाने का गुस्सा था.
ये बातें किसी मीटिंग में कहना भी एक आधार बनाया गया. गवाहों ने ये कहा कि उनके सामने इस तरह की बातें कही गईं. गवाहों के जो अधिकारिक बयान सामने आए उसमें उन्होंने तमाम मीटिंग्स में मौजूद रहने की बात भी कही, लेकिन अब ये गवाह इस जांच की सच्चाई बयान कर रहे हैं.
इस पूरी जांच में गवाहों के मुकरने के बाद नया मोड़ आ गया है. कैप्टन नितिन जोशी जो कि इस मामले के अहम गवाह हैं, उन्होंने जांच पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. नितिन जोशी के मुताबिक उनके साथ मारपीट की गई. उनके परिवार और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रची गई.
उन पर दबाव बनाया गया कि वो अपने बयान में ये कहें कि उन्होने कर्नल पुरोहित के पास आरडीएक्स देखा था, साथ ही बम का बदला बम से लेने की बात कही थी. दबाव में नितिन जोशी ने ये बयान दिया भी.
जब नितिन जोशी पर सवाल खड़े किए गए कि आखिर वो अब तक इस मसले पर चुप क्‍यों रहे, तो उन्होंने बताया कि वो पहले भी 2010 में मानवाधिकार आयोग में इस बारे में शिकायत कर चुके हैं. वो बेहद डरे हुए थे, इसीलिए इस मामले में कुछ भी कह नहीं पा रहे थे.
नितिन ऐसे अकेले गवाह नहीं हैं, जो जबरदस्ती बयान दिलवाए जाने की बात कह रहे हैं. इस मामले के अब तक 19 गवाह इसी तरह की बात कह चुके हैं. एक बात बहुत साफ है कि जांच एजेंसियां भगवा आतंकवाद की एक स्क्रिप्ट लिखने में जुटी हुई थीं.
ये राजनीति का एक ऐसा घिनौना स्तर है जो इस ओर इशारा करता है कि हमारे देश में मतदाताओं की मानसिकता को लेकर राजनैतिक दल क्या सोचते हैं.
सवाल ये भी उठ रहा है कि अब गवाह खुद को सुरक्षित कैसे महसूस कर रहे हैं, या एनआईए पर वर्तमान सरकार का भी तो दबाव हो सकता है?
ये सवाल उठना लाजिमी है, लेकिन ये भी गौर करने वाली बात है कि इसी सरकार को रोकने के लिए ये पूरी कहानी बुनी जा रही थी. एनआईए डायरेक्टर शरद कुमार अमेरिका से वापस आते ही कह चुके हैं कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं. ये बात अपने आप में कई गहरे सवाल खड़े करती है.
यही नहीं इधर, आर्मी के एक सर्विंग ऑफिसर को गिरफ्तार किया गया और उसे यातनाएं तक दी गईं. उनके इकबालिया बयान को भगवा आतंकवाद का आधार बनाया गया और अब जांच एजेंसी कह रही है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं.
ये बात सही है कि असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा जैसे चेहरों का उग्र हिंदुत्व से कुछ जुड़ाव दिखता है, लेकिन ये भी सच है कि इस उग्र हिंदुत्व को पहले भगवा आतंकवाद का जामा पहनाया गया और फिर इन चेहरों को आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से जोड़ने की कोशिश की गई.
इस कोशिश में जांच एजेंसियां उस वक्त भी नाकाम रही लेकिन जांच का ये तरीका इन संगठनों को आतंकी संगठन बताने की कोशिश को बेनकाब कर रहा है.

कॉमरेड, तुम्हारा पोस्टर ब्वॉय लफंगा और नंगा है!

 

मुझे हैरत इस बात की कतई नहीं कि वामपंथी पतित हैं, मैं तो बस यह सोचता हूं कि आखिर वे और कितना नीचे गिरेंगे, गिर सकते हैं......
ज.ने.वि. छात्रसंघ का वर्तमान अध्यक्ष फिलहाल इनका पोस्टर ब्वॉय है, दो दिनों की बिहार यात्रा पर है, आज़ादी ढूंढने निकला है, पर मैं वामी गिरोह के इस नए 'मसीहा' के बारे में दो-तीन जानकारियां आपसे साझा कर लेता हूं....
1.यह लौंडा अपनी नेतागिरी चमकाने तब निकला है, जब इसके चक्कर में आकर ज.ने.वि. के कई छात्र (और उनमें से कुछ मासूम) भी हो सकते हैं, अनिश्चितकालीन भूख-हड़ताल पर बैठे हैं. उपनिवेशवादी मानसिकता से ग्रस्त एक मीडिया संस्थान को दिए साक्षात्कार में इस नटवरलाल ने उसमें शिरकत और समर्थन की बात कही थी. अब ज़रा यह बताओ कि भूख-हड़ताल दिल्ली में, ज.ने.वि. के एड-ब्लॉक पर और तुम राजधानी पटना में क्या मूली उखाड़ने आए हो बे..???
2. इस लौंडे की वायवीय उ़ड़ानों पर जब सवाल उठे, तो इसने कहा कि प्रायोजक इसका खर्च उठाते हैं. हां बेटे, बिल्कुल उठाते हैं. अब ज़रा जान लो कि तुम्हारे प्रायोजक कौन हैं? दिल्ली में कांग्रेस का एक दिग्गज नेता जहां इसका प्रायोजक है, जिसने एनजीओ के माध्यम से पैसा पूल कर इसे पूरे देश में पोस्टर-ब्वॉय बनाना चाहा है, तो बिहार में यह शराब माफिया की गोद का खिलौना है.....
3. जी हां, कल इस लौंडे के प्रायोजक वही कुख्यात शराब माफिया विनोद जायसवाल थे, जो सीवान से एमएलसी का चुनाव भी लड़ चुके थे. भले ही, उसमें उन्हें अपने ही पूर्व सिपहसालार टुन्ना पांड़े से शिकस्त मिली (पांड़ेजी भाजपा के उम्मीदवार थे, शराब माफिया थे, लेकिन छोटे स्तर के...स्थानीय). जायसवाल अंतर-राज्यीय शराब माफिया माने जाते हैं...बड़ेवाले. वह शहाबुद्दीन के दाहिने हाथ भी थे (इस बात पर गौर करें).
4. कल एयरपोर्ट से लेकर पूरे पटना तक इस लौंडे का सारा प्रायोजन इन्हीं स्वनामधन्य जायसवाल जी ने करवाया. अब इस प्रायोजन के साथ इस लंपट के मुंह से शराबबंदी के खिलाफ निकली बकवास को जोड़कर देखिए. दो और दो का जोड़ चार समझ मे आ जाएगा.
5. बड़ी गाड़ियों के काफिले, पटना के आइटी चौराहा पर बड़ा पोस्टर (जो आजतक येचुरी, करात और डी राजा को भी नसीब नहीं हुआ), एस के मेमोरियल हॉल में बड़ा कार्यक्रम और ऊपर से जंगलराज के मसीहा लालू यादव के साथ डेढ़ घंटे की गुप्त मीटिंग. खिचड़ी क्या पका रहे हो, नटवरलाल और किसके लिए......
6. आज चंदू (ज.ने.वि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष, जिनकी हत्या का आरोपी शहाबुद्दीन है) की आत्मा तृप्त हो गयी होगी. लालू यादव के चरण-चुंबन तक तो फिर भी ठीक था, लेकिन शहाबुद्दीन के सिपहसालार जायसवाल की गोद में गिर पड़नेवाला यह लफंगा भी ज.ने.वि. का छात्रसंघ-अध्यक्ष है. चंदू, हम शर्मिंदा हैं.......
7. और अंत में, वामी गिरोह के इस प्रतिनिधि लौंडे की आज़ादी का नमूना आज उस छात्र को दिख गया, जिसने शांतिपूर्ण तरीके से जब नटवरलाल का विरोध किया, तो वामी कारकुनों ने उसकी हॉकी स्टिक और लात-घूंसो से जमकर पिटाई की......
शर्म को भी शर्म आ गयी, पर हाय रे वामियों....तुमको कब आएगी....
- Vyalok Pathak

ऑगस्टा घोटाला : यूपीए शासन के बाद अब फिर पूर्व वायुसेना प्रमुख त्यागी से पूछताछ करेगी CBI


पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी और पूर्व उप वायु सेना प्रमुख जेएस गुजराल से सीबीआई फिर ऑगस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार की जांच के लिए पूछताछ करेगी.
उल्लेखनीय है कि यूपीए (कांग्रेस) शासनकाल में  इन दोनों से 2013 में विस्तार से पूछताछ की गई थी लेकिन नए दौर के पूछताछ की आवश्यकता एक इतालवी अदालत के सात अप्रैल के आदेश के बाद हुई.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जहां एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) जेएस गुजराल को शनिवार को पूछताछ के लिए उपस्थित होने को कहा गया है, वहीं एसपी त्यागी से सोमवार को पूछताछ की जाएगी.
गौरतलब है कि  त्यागी ने 31 दिसंबर 2005 को भारतीय वायु सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला था और वह 2007 में सेवानिवृत्त हुए.
मिलान की अपीलीय अदालत ने इस बात का ब्योरा दिया है कि कैसे हेलिकॉप्टर निर्माता फिनमेकैनिका और ऑगस्टा वेस्टलैंड ने सौदा हासिल करने के लिए बिचौलियों के जरिए भारतीय अधिकारियों को कथित तौर पर रिश्वत दी. अदालत ने अपने आदेश में कई बिंदुओं पर त्यागी के नाम का उल्लेख किया है.
सीबीआई को मिलान की अदालत के आदेश की प्रति मिल गई है जिसके आधार पर उसने त्यागी और गुजरात से पूछताछ करने के लिए नयी प्रश्नावली तैयार की है.
त्यागी ने अपने खिलाफ आरोपों का खंडन किया है और दावा किया कि सीमा को कम करने का फैसला गुजराल समेत वरिष्ठ अधिकारियों के एक समूह ने किया था.
सीबीआई ने अब तक कहा है कि गुजराल से एक गवाह के तौर पर पूछताछ की गई है लेकिन इस बात पर चुप्पी साध ली कि क्या उनका दर्जा वही बरकरार रहेगा.
सीबीआई ने मामले में त्यागी और 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इसमें त्यागी के रिश्ते के भाई और यूरोपीय बिचौलिये भी शामिल हैं.
सूत्रों ने संकेत दिया कि हाल ही में मिलान (इटली) की एक अदालत द्वारा ऑगस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों में दो व्यक्तियों को सजा सुनाए जाने के बाद त्यागी से पूछताछ जरूरी हो गई थी.
पूर्व वायु सेना प्रमुख पर आरोप है कि उन्होंने वीवीआईपी हेलीकाप्टरों की ऊंचाई को कथित रूप से कम किया ताकि ऑगस्टा वेस्टलैंड को भी बोली में शामिल किया जा सके.

केजरीवाल को मिली पीएम की जानकारी, क्या अब पूछेंगे सोनिया-राहुल की शैक्षणिक योग्यता

 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर गतिरोध के बीच गुजरात विश्वविद्यालय ने आज उनके एमए की डिग्री को साझा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के बाहरी छात्र के तौर पर उन्हें 62.3 फीसदी अंक हासिल हुए.
केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा गुजरात विश्वविद्यालय को निर्देश दिया गया था कि डिग्री से संबंधित सूचना वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मुहैया कराए जिन्होंने हाल में सीआईसी की पारदर्शिता को लेकर आलोचना की थी.
सोशल मीडिया में चर्चा है कि ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में आरोपों में घिरी इतालवी मूल की भारतीय नागरिक सोनिया गांधी पर से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए केजरीवाल ने पीएम मोदी की शैक्षणिक योग्यता का मुद्दा उछाला था.
ऐसे में सोशल मीडिया में सवाल पूछा जा रहा है कि केजरीवाल जिनकी पार्टी को कान्ग्रेस की 'बी' टीम माना जाता है, क्या अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर भी आरटीआई आवेदन करेंगे?
बहरहाल, गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति एम एन पटेल ने जानकारी दी है कि, नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने 1983 में राजनीति विज्ञान में एमए की परीक्षा पास की और बाहरी छात्र के तौर पर 800 में से 499 अंक हासिल किए जो 62.3 फीसदी है.
केजरीवाल ने आरटीआई आवेदन का जवाब देने के लिए सीआईसी को पत्र लिखकर उनके चुनावी फोटो पहचान पत्र की मांग की थी और कहा कि वह जहां आरटीआई आवेदकों की सूचना साझा करने को तैयार हैं वहीं सीआईसी को प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता का खुलासा करने के आदेश देना चाहिए.
केजरीवाल के पत्र के बाद सीआईसी ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता का खुलासा करें. दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने कला में स्नातक (बीए) और गुजरात विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की थी.
कुलपति पटेल ने कहा कि उन्हें अभी तक सीआईसी का आदेश नहीं मिला है लेकिन उन्हें मीडिया से इस बारे में पता चला और आदेश प्राप्त होने पर वह संबंधित आवेदकों को ब्यौरा सौंपेंगे.
पटेल ने कहा, कई आरटीआई आवेदन के माध्यम से ब्यौरा (मोदी की डिग्री के बारे में) मांगा गया था और इसे विश्वविद्यालय के समक्ष दायर किया गया था लेकिन तकनीकी आधार पर आटीआई कानून के तहत हम इसे साझा करने की स्थिति में नहीं थे.
पटेल ने कहा, अंक का ब्यौरा केवल उम्मीदवार को मुहैया कराया जा सकता है और हम विश्वविद्यालय के 20 वर्षों से ज्यादा के रिकॉर्ड मुहैया नहीं कराते. मोदी की बीए डिग्री का विवरण पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि उनके पास यह नहीं है.
पटेल ने ब्यौरा देते हुए कहा, मोदी ने बाहरी छात्र के तौर पर एमए किया. उन्हें एमए प्रथम वर्ष में 400 अंक में 237 अंक हासिल हुए, एमए द्वितीय वर्ष में 400 में से 262 अंक हासिल हुए.
उन्होंने कहा, एमए दूसरे वर्ष में मोदी को राजनीति विज्ञान में 64 अंक हासिल हुए, यूरोपीय और सामाजिक राजनीतिक विचार में 62 अंक, आधुनिक भारत, राजनीति विश्लेषण में 69 अंक ओर राजनीति मनोविज्ञान में 67 अंक हासिल हुए.
केजरीवाल के पत्र पर कार्रवाई करते हुए सीआईसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय से कहा था कि नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के नाम से 1978 में (डीयू से स्नातक) और 1983 में (जीयू से एमए) की डिग्री को खोजें और आवेदक केजरीवाल को यथाशीघ्र मुहैया कराएं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री के फोटो पहचान पत्र के बारे में सूचना मांगने के नीरज पांडेय से जुड़े मामले में मुख्य सूचना आयुक्त आचार्युलू ने केजरीवाल से जवाब मांगा कि एक विधायक के तौर पर क्यों नहीं उन्हें आरटीआई कानून के तहत सार्वजनिक अधिकारी बनाया जाए और क्यों नहीं उनकी पार्टी को भी कानून के दायरे में लाया जाए.
आचार्युलू ने कहा था कि केजरीवाल ने अपने जवाब में अपने बारे में सूचना सार्वजनिक करने पर आपत्ति नहीं जताई लेकिन हंसराज जैन मामले का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता पर सूचना की मांग उठाई.

Monday, 2 May 2016

पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) ने कहा है कि जिस देश में रहो उससे मुहब्बत करो

राजीव शर्मा, कोलसिया
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हमने दुनिया का नक्शा बनते आैर बिगड़ते देखा है। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब हिंदुस्तान के सीने पर भी परदेसी फौज के घोड़ों की टापें सुनार्इ देती थीं। हमने उन लोगों के किस्से भी किताबें में पढ़े हैं जिनकी तलवारें सिर्फ बेकसूर लोगों के खून से प्यास बुझाती थीं।
मैं इतिहास में सबकुछ जानने का दावा नहीं कर सकता लेकिन जितना जान सका हूं उसके आधार पर मुझे अतीत में दो महान घटनाएं एेसी नजर आती हैं जब विजेता ने लाशों पर फतह नहीं पार्इ, अपनी जीत का जश्न नहीं मनाया आैर किसी कमजोर का गला नहीं दबाया। बल्कि युद्घ जीतकर भी उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया।
पहली घटना है- श्रीराम की लंका पर विजय। उस लंका पर जिसके बारे में कहा जाता है कि वह सोने से बनी थी। तब श्रीराम के पास विशाल सेना थी, बहादुर साथी थे आैर हथियारों की भी कोर्इ कमी नहीं थी लेकिन उन्होंने जीती हुर्इ लंका विभीषण को सौंप दी।
वे चाहते तो लंका के राजा बन सकते थे। वहां आराम की जिंदगी गुजार सकते थे लेकिन उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि मुझे मां के कदमों की मिट्टी आैर मेरी मातृभूमि स्वर्ग से भी ज्यादा प्रिय हैं।
दूसरी घटना है पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) के जीवन की। हिजरत के कर्इ साल बाद वे मदीने से मक्का आए थे। एक वह दौर था जब मक्का के लोग उनकी जान के प्यासे हो गए। तब भी उन्होंने युद्घ का मार्ग नहीं अपनाया।
उनके चाचा अबू तालिब गुजर चुके थे, उनकी बीवी खदीजा का भी स्वर्गवास हो चुका था। मां आैर बाप ताे बहुत पहले गुजर चुके थे। वे बिल्कुल अकेले पड़ चुके थे तब मक्का के कुरैश उनसे बदला लेने काे तैयार हुए। वे हर कीमत पर उनकी जान लेने को आमादा थे।
एेसे में पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) को अपने रब की आेर से हुक्म हुआ आैर वे मक्का छोड़कर शांतिपूर्वक मदीना चले गए। मदीना के लोगों ने उनका दिल खोलकर स्वागत किया मगर मक्का के कुरैश यह भी नहीं चाहते थे।
उनकी मंशा थी कि मुहम्मद (सल्ल.) को खत्म कर दिया जाए। वे फौज लेकर मदीना की आेर चल पड़े तब अपने साथियों, उनके बीवी-बच्चों आैर आत्मरक्षा के लिए पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) ने रणभूमि की आेर प्रस्थान किया तथा वे विजयी हुए।
मक्का के लोगों ने उनके साथ जितना दुष्टता का बर्ताव किया था मदीना के लोग उतने ही हमदर्द थे। उन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया आैर कोर्इ भी संकट वे सबसे पहले खुद पर लेना चाहते थे लेकिन मुहम्मद साहब (सल्ल.) को खुद से ज्यादा अपने साथियों की फिक्र रहती।
मुहम्मद (सल्ल.) को मक्का की धरती से भी बहुत प्रेम था। यही वो जगह थी जहां उनकी प्यारी मां आमिना, पिता अब्दुल्लाह के कदम पड़े थे। इसी धरती पर काबा था जहां इबादत करना उनका सबसे बड़ा खाब था।
… आैर अपनी मातृभूमि किसे अच्छी नहीं लगती? मदीने में उन्हें वैसी तकलीफ नहीं थी जैसी मक्का के लोगों ने दी थी। फिर भी उनका मन हमेशा वहां जाने के लिए उत्सुक रहता था।
देशप्रेम क्या होता है? मुझे यह बताने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि हर देश में महान देशप्रेमी हुए हैं, अमर बलिदानी पैदा हुए हैं। मैं पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्ल.) को भी उसी श्रेणी का एक महान देशप्रेमी मानता हूं जिसने अपने वतन के लिए कर्इ कुर्बानियां दीं। उनके कर्इ साथी जंग में शहीद हुए।
मक्का उनका घर था आैर वहां जाने का उन्हें पूरा हक था लेकिन कुरैश नहीं चाहते थे कि वे पूरी जिंदगी में कभी वहां लौटकर आएं। मुहम्मद साहब (सल्ल.) के पास संसाधन नहीं थे, बहुत बड़ी सेना नहीं थी, लेकिन वे सिर्फ दो बातों के दम पर मैदान में डटे रहे। न सिर्फ डटे रहे बल्कि दुश्मनों को शिकस्त भी दी। इनमें पहली बात थी – ईश्वर और उसकी न्यायप्रियता पर अटूट भरोसा, और दूसरी – सच्चाई।
जब आप अपने बहादुर साथियों के साथ वापस मक्का आए तो उन लोगों में भारी भय था जिन्होंने आपको तकलीफें दी थीं। मक्का बिल्कुल सामने था और आप आगे बढ़ते जा रहे थे। उधर मक्का के लोगों के मन में कई आशंकाएं थीं।
तब मुहम्मद साहब (सल्ल.) ने एक व्यक्ति अबू सुफियान से कहा – अपनी कौम में जाओ और उनसे कहो – मुहम्मद मक्का में एक अच्छे भाई की तरह दाखिल होगा। आज न कोई विजयी है और न पराजित। आज तो प्रेम और एकता का दिन है। आज चैन और सुकून का दिन है। अबू सुफियान के घर में जो दाखिल हो जाए, उसे अमान (शरण) है। जो घर का दरवाजा बंद कर ले उसको अमान है और जो काबा में दाखिल हो जाए, उसको भी अमान है।
अबू सुफियान ने यह बात मक्का में जाकर कही तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। मुहम्मद साहब (सल्ल.) मक्का में दाखिल हुए। फिर आपने काबा जाने का इरादा किया। काबा की चाबी मंगाई और आप काबा गए।
काबा के बाहर मक्कावालों की भीड़ लगी थी। वे लोग आज अपनी किस्मत का फैसला सुनने खड़े थे। तब आपने कुरैश के लोगों की ओर नजर उठाई और पूछा, कुरैश के लोगो, जानते हो मैं तुम्हारे साथ क्या करने वाला हूं?
सब बोले- अच्छा व्यवहार। आप अच्छे भाई हैं और अच्छे भाई के बेटे हैं।
फिर आपने फरमाया – आज तुम्हारी कोई पकड़ नहीं। जाओ, तुम सब आजाद हो।
मुहम्मद साहब (सल्ल.) ने उन लोगों को आजाद कर दिया जिन्होंने कभी उन्हें बहुत तकलीफें दी थीं। आज आप शक्ति के शिखर पर थे, लेकिन उन लोगों को भी माफ कर दिया जो आपको दुनिया से मिटाना चाहते थे। युद्घ जीतकर दिल जीतने तथा शक्ति के साथ माफी के एेसे उदाहरण इतिहास में बहुत कम मिलते हैं।