सफलता पाने की संभावना उस शख्स की सबसे ज्यादा होती है जो अपने सपनों को
हमेशा ज़िंदा रखता है। कहते हैं 'सबसे ख़तरनाक होता है सपनों का मर जाना'।
जिन्हें अपने सपने की परवाह होती है वो दरअसल अपने सपनों को लेकर जिद्द
पकड़ने लगते हैं और उनकी ये जिद्द जुनून में तब्दील हो जाती है। और जैसे ही
आपके सपने जुनून में परिवर्तित हो जाते हैं उसके बाद मंजिल पाने की
संभावना बहुत बढ़ जाती है। भीम सिंह एक ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने अपने
सपने को सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते जिया और उसको पूरा करके ही दम
लिया। भीम सिंह का एक ही सपना था-खुद की डिजाईन की हुई बाइक बनाने का। और
आप यकीन मानेंगे मैकेनिक भीम सिंह ने सामान्य बाइक से पांच गुणा कम कीमत पर
चलने वाली बाइक बनाई।
कहां और कैसे मिली प्रेरणा
भीम सिंह के पिता रेलवे में डीजल मैकेनिक थे, इसलिए मशीनों के प्रति लगाव और दिलचस्पी उन्हें विरासत में मिली थी। वर्ष 1988 में 10वीं करने के बाद भीम सिंह ने मध्य प्रदेश के झाबुआ के सरकारी आईटीआई संस्थान से आईटीआई की पढ़ाई की। उन्होंने पढ़ाई के बाद कई जगह नौकरी की और छोड़ दी। 1990 में उन्होंने इंदौर के पीथमपुर में बजाज कंपनी में नौकरी ज्वाईन किया। इसी बीच उनके पिता सरनाम सिंह राजपूत की तबीयत खराब हो गई और उन्हें घर जाने की नौबत आ गई। लेकिन कंपनी ने उन्हें छुट्टी देने से इंकार कर दिया। भीम सिंह ने योरस्टोरी को बताया,
25 साल पहले जब भीम सिंह ने नौकरी छोड़ी, उसके बाद उन्होंने बाइक और कार रिपेयरिंग का एक छोटा सा वर्कशॉप खोला। पर इस पूरे समय में उनका सपना एक पल के लिए भी आँखों से ओझल नहीं हुआ। तभी अचानक उनके सपने को स्टार्टअप इंडिया का हवा लगी। स्टार्टअप इंडिया से प्रेरित होकर भीम सिंह ने ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक बना दी है, जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। अगर इस बाइक का व्यावसायिक उत्पादन कामयाब हुआ तो पॉल्यूशन और उर्जा संकट की चिंता किए बिना, बेहद सस्ती कीमतों पर ये बाइक सड़कों पर सरपट फर्राटे भरने को तैयार होगी। मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के गायत्री मंदिर रोड पर गायत्री इंजिनियरिंग वर्क्स नाम से बाईक और कार रिपेयरिंग का वर्कशॉप चलाने वाले 47 वर्षीय मैकेनिक भीम सिंह राजपूत अपने सपनों की बाइक बनाने में पिछले छह माह से दिन रात लगे हुए हैं। उनका मानना है कि अगले तीन माह में वह इस बाईक को पूरी तरह तैयार कर इसे सवारी के लिए सडकों पर उतार देंगे। हालांकि इससे पहले वह कई बार बाइक का ट्राईल रन कर चुके हैं, लेकिन बार-बार कुछ नया करने के लिए इसे अंतिम रूप देने में अभी थोड़ा सब्र से काम ले रहे हैं।
बाइक की विशेषता
ये बाइक पूरी तरह वायु और ध्वनी प्रदूषण मुक्त इलेक्ट्रीक बाइक है। बाइक को पूरी तरह से भीम सिंह ने खुद जरूरत के मुताबिक अपने वर्कशॉप में डिजायन किया है। इसमें पल्सर का एलॉय व्हील लगाया गया है। बाइक में 12-12 वोल्ट की कुल 48 किलो वजनी चार बैट्रियां लगाई गई है। बाइक को चलाने के लिए इसमें जो मोटर लगाई गई है उसका आरपीएम 3000 है। बाइक का कुल वजन 150 किग्रा है और इसकी अधिकतम स्पीड 120 किमी/घंटा है। बाइक की बैट्री एक बार फुल चार्ज हो जाने पर यह बिना रूके लगभग 300 किमी की दूरी आसानी से तय करेगी। बैट्री बिजली से चार्ज होगी। बैट्री फुल चार्ज होने में लगभग 3 घंटे का समय लेगी और इसमें लगभग 6 युनिट बिजली खर्च होगी। यानि एक बार बैट्री चार्ज करने पर लगभग 48 रुपये का खर्च आएगा जिसमें आप 300 किमी की दूरी तय कर सकेंगे। इस बाइक को रोड़ पर उतारने में लगभग 1.20 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस तरह बाइक चलाने का खर्चा प्रति किमी लगभग 16 पैसा आएगा, जबकि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रीक बाइक को चलाने में अभी प्रति किमी 85 पैसे का खर्चा आ रहा है। इस लिहाज से भीम सिंह की ये बाईक काफी सस्ती साबित हो सकती है।
क्या है आगे की योजना
भीम सिंह इस बाइक के सफल ट्रायल के बाद इसे पेटेंट कराएंगे। इसके लिए अभी से उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह बाइक को पुणे भेजने की तैयारी में हैं। भीम सिंह का मानना है,
भीम सिंह बताते हैं कि वह एक और प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उस प्रोजेक्ट के तहत वह सौर उर्जा से बाईक चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इलेक्ट्रीक बाईक की सफलता के बाद वह इस काम में जी जान से जुटेंगे।
गाड़ियों के मोडिफिकेशन का भी करते हैं काम
भीम सिंह के वर्कशापॅ में हर तरह की कार और बाइकों की रिपेयरिंग की जाती है। गाड़ियों की बड़ी से बड़ी खराबी वो चुटकियों में हल करते हैं। इसके अलावा भीम सिंह पूरे रतलाम जिले में गाड़ियों को स्टाइलिश लुक देने के लिए भी जाने जाते हैं। सामान्य सी बाइक का लुक बदल कर उसे स्पोर्टी बाइक बनाने में भी उन्हें महारत हासिल है। इससे पहले भीम सिंह जीप को भी मोडिफाइड करते थे। भोपाल सहित प्रदेश के अन्य पहाड़ी इलाकों में चलने वाले वेलीज जीप बनाना भी उनके शौक में शुमार था। सामान्य जीप को वह वेलीज जीप में बदल देते थे। हालांकि अब इस जीप का चलन मध्यप्रदेश में भी कम हो रहा है। इस वजह से उन्होंने अपना काम बदल दिया है, लेकिन ग्राहक मिलने पर वह अब भी जीप मोडिफिकेशन का काम कर देते हैं।
कहां और कैसे मिली प्रेरणा
भीम सिंह के पिता रेलवे में डीजल मैकेनिक थे, इसलिए मशीनों के प्रति लगाव और दिलचस्पी उन्हें विरासत में मिली थी। वर्ष 1988 में 10वीं करने के बाद भीम सिंह ने मध्य प्रदेश के झाबुआ के सरकारी आईटीआई संस्थान से आईटीआई की पढ़ाई की। उन्होंने पढ़ाई के बाद कई जगह नौकरी की और छोड़ दी। 1990 में उन्होंने इंदौर के पीथमपुर में बजाज कंपनी में नौकरी ज्वाईन किया। इसी बीच उनके पिता सरनाम सिंह राजपूत की तबीयत खराब हो गई और उन्हें घर जाने की नौबत आ गई। लेकिन कंपनी ने उन्हें छुट्टी देने से इंकार कर दिया। भीम सिंह ने योरस्टोरी को बताया,
"जब मैनेजर ने छुट्टी देने से इनकार कर दिया उसी समय मैंने तय किया अब नौकरी नहीं करनी। नौकरी छोड़ते वक्त ही मैंने मन ही मन ठान लिया था कि अब मैं कहीं और नौकरी नहीं करुंगा। खुद का कारोबार करुंगा। नौकरी छोड़ने पर मेरे दोस्तों ने इसका विरोध किया, लेकिन मैंने तय कर लिया था कि एक दिन मैं खुद मोटरसाइकिल बनाऊंगा। मेरी इस बात पर उस समय लोग हंसते थे। पर मैंने अपने सपने को जीवित रखा और हालात माकूल होने पर अपने सपनों को सच साबित कर दिखाया।"
25 साल पहले जब भीम सिंह ने नौकरी छोड़ी, उसके बाद उन्होंने बाइक और कार रिपेयरिंग का एक छोटा सा वर्कशॉप खोला। पर इस पूरे समय में उनका सपना एक पल के लिए भी आँखों से ओझल नहीं हुआ। तभी अचानक उनके सपने को स्टार्टअप इंडिया का हवा लगी। स्टार्टअप इंडिया से प्रेरित होकर भीम सिंह ने ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक बना दी है, जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। अगर इस बाइक का व्यावसायिक उत्पादन कामयाब हुआ तो पॉल्यूशन और उर्जा संकट की चिंता किए बिना, बेहद सस्ती कीमतों पर ये बाइक सड़कों पर सरपट फर्राटे भरने को तैयार होगी। मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के गायत्री मंदिर रोड पर गायत्री इंजिनियरिंग वर्क्स नाम से बाईक और कार रिपेयरिंग का वर्कशॉप चलाने वाले 47 वर्षीय मैकेनिक भीम सिंह राजपूत अपने सपनों की बाइक बनाने में पिछले छह माह से दिन रात लगे हुए हैं। उनका मानना है कि अगले तीन माह में वह इस बाईक को पूरी तरह तैयार कर इसे सवारी के लिए सडकों पर उतार देंगे। हालांकि इससे पहले वह कई बार बाइक का ट्राईल रन कर चुके हैं, लेकिन बार-बार कुछ नया करने के लिए इसे अंतिम रूप देने में अभी थोड़ा सब्र से काम ले रहे हैं।
बाइक की विशेषता
ये बाइक पूरी तरह वायु और ध्वनी प्रदूषण मुक्त इलेक्ट्रीक बाइक है। बाइक को पूरी तरह से भीम सिंह ने खुद जरूरत के मुताबिक अपने वर्कशॉप में डिजायन किया है। इसमें पल्सर का एलॉय व्हील लगाया गया है। बाइक में 12-12 वोल्ट की कुल 48 किलो वजनी चार बैट्रियां लगाई गई है। बाइक को चलाने के लिए इसमें जो मोटर लगाई गई है उसका आरपीएम 3000 है। बाइक का कुल वजन 150 किग्रा है और इसकी अधिकतम स्पीड 120 किमी/घंटा है। बाइक की बैट्री एक बार फुल चार्ज हो जाने पर यह बिना रूके लगभग 300 किमी की दूरी आसानी से तय करेगी। बैट्री बिजली से चार्ज होगी। बैट्री फुल चार्ज होने में लगभग 3 घंटे का समय लेगी और इसमें लगभग 6 युनिट बिजली खर्च होगी। यानि एक बार बैट्री चार्ज करने पर लगभग 48 रुपये का खर्च आएगा जिसमें आप 300 किमी की दूरी तय कर सकेंगे। इस बाइक को रोड़ पर उतारने में लगभग 1.20 लाख रुपये का खर्च आएगा। इस तरह बाइक चलाने का खर्चा प्रति किमी लगभग 16 पैसा आएगा, जबकि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध इलेक्ट्रीक बाइक को चलाने में अभी प्रति किमी 85 पैसे का खर्चा आ रहा है। इस लिहाज से भीम सिंह की ये बाईक काफी सस्ती साबित हो सकती है।
क्या है आगे की योजना
भीम सिंह इस बाइक के सफल ट्रायल के बाद इसे पेटेंट कराएंगे। इसके लिए अभी से उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह बाइक को पुणे भेजने की तैयारी में हैं। भीम सिंह का मानना है,
"इस बाइक का व्यावसायिक उत्पादन काफी सस्ता हो सकता है। अगर ये सफल हुआ तो महंगे पेट्रोल और डीजल से निर्भरता समाप्त होगी। इससे प्रदूषण की भी समस्या नहीं होगी।"
भीम सिंह बताते हैं कि वह एक और प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उस प्रोजेक्ट के तहत वह सौर उर्जा से बाईक चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इलेक्ट्रीक बाईक की सफलता के बाद वह इस काम में जी जान से जुटेंगे।
गाड़ियों के मोडिफिकेशन का भी करते हैं काम
भीम सिंह के वर्कशापॅ में हर तरह की कार और बाइकों की रिपेयरिंग की जाती है। गाड़ियों की बड़ी से बड़ी खराबी वो चुटकियों में हल करते हैं। इसके अलावा भीम सिंह पूरे रतलाम जिले में गाड़ियों को स्टाइलिश लुक देने के लिए भी जाने जाते हैं। सामान्य सी बाइक का लुक बदल कर उसे स्पोर्टी बाइक बनाने में भी उन्हें महारत हासिल है। इससे पहले भीम सिंह जीप को भी मोडिफाइड करते थे। भोपाल सहित प्रदेश के अन्य पहाड़ी इलाकों में चलने वाले वेलीज जीप बनाना भी उनके शौक में शुमार था। सामान्य जीप को वह वेलीज जीप में बदल देते थे। हालांकि अब इस जीप का चलन मध्यप्रदेश में भी कम हो रहा है। इस वजह से उन्होंने अपना काम बदल दिया है, लेकिन ग्राहक मिलने पर वह अब भी जीप मोडिफिकेशन का काम कर देते हैं।
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